लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5

५- डिलीवरी को बचा एक हफ्ता

अब श्रेया की डिलीवरी में सिर्फ एक हफ्ता बचा था। वह  अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ हो रहे एहसासो को अपनी सांसो में समेट लेना चाहती थी।

वह उन एहसासों को अपनी याद में बसा लेना चाहती थी। वह एहसास इतने सुखद थे कि वह उन एहसासों को कभी भूलना नहीं चाहती थी। उन एहसासों के साथ उसके मन में गुदगुदी होती थी। उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती थी। जब उसका बच्चा उसके पेट में घूमता तो  खुशी से झूम झूमकर मदहोश हो जाती। उस खुशी को अपने दामन  में समेटे ख्वाबों की दुनिया में खो जाती। वह सुखद अनुभूति हर पल हर सांस में उसे होती।  जिसका वर्णन श्रेया श्रवन के साथ भी अपने शब्दों में करती और उसको भी एहसास कराती ।

बच्चे के आगमन की अनुभूति श्रेया और श्रवण को आनंदित करती। दोनों सपनों की दुनिया में घंटों विचरण करते मानो अपने बच्चे के साथ खेल रहे हो। और जब होश में आते तो सामने कुछ दिखाई नहीं देता था। श्रेया और श्रवन के लिए ये समय बड़ा ही खास था। जिनको वह दोनों एक साथ बहुत ही सुखद मान कर जी रहे थे। ऐसा ही स्वप्न की जो सुखद  अनुभूति है वह पूरा परिवार एक साथ कर रहा था। बहुत ही सुखद एहसास देने वाली यह अनुभूति  दोनों के ही चेहरे पर खुशी के भाव प्रकट करते‌।  और उनको देखकर सभी परिवार आनंदित होता। 
श्रवन की मां पिता भी दादी दादा बनने का एहसास लिए आनंदित पुलकित होते। और उस अनुभूति को बार-बार कर जीना चाहते थे।

श्रेया अपनी अनुभूतियों को अपने पति श्रवन और सासु मां के साथ बांटती। जब सभी एक पास होते तो उन एहसासों के सुमन और ज्यादा महकते और अपनी खुशबू पूरे घर में बिखेर देते।

शाम का समय हो चला था सभी लोग चाय पी रहे थे। चाय के साथ-साथ सभी अपने अपने अनुभव एक दूसरे को बता रहे थे। कि जब घर में नन्हा मेहमान आ जाएगा, तो कौन-कौन क्या-क्या करेगा। इतने में सासू मां ने कहा- कि नन्हे मेहमान के लिए कुछ तैयारियां भी कर ली जाए। समय नजदीक आता जा रहा है। तो सभी ने अपने अपने काम बांट लिए किसी ने नन्हे मेहमान के लिए कपड़े ले आने को कहा। किसी ने खिलाने ले आने को कहा, कोई पालना लाने को तैयार हुआ, और कोई उसके लिए सुंदर सा बिस्तर लाने को तैयार हो गया। क्योंकि सभी के मन में उस नन्हें मेहमान के लिए बहुत ही प्यार था। सभी को जिम्मेदारियां बांट दी गई। सभी बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। किसी को कुछ कहना नहीं पड़ता क्योंकि सभी के मन में खुशी पनप रही थी। जो बहुत जल्द पूर्ण होने वाली थी।अब रात हो चुकी थी, सभी लोगों ने भोजन किया। श्रेया और श्रवन ने भी खाना खाया और अपने कमरे में सोने चले गए।  श्रवण रात में भी उठकर श्रेया का ख्याल रखता फिर सो जाता।

अगली सुबह फिर से वही रोज का क्रियाकलाप और गतिविधियां। सभी सो कर जागे सभी ने एक दूसरे को अभिवादन किया ।उसके बाद श्रेया को फिर आज चेकअप के लिए जाना था।तो श्रेया और श्रवण की मां ने उनको तैयार होने को कहा। श्रेया नहा धोकर तैयार हुई तो सासु मां ने  उनके लिए नाश्ता तैयार कर दिया था और सब ने नाश्ता किया।

नाश्ता करने के बाद श्रेया और श्रवण तैयार होकर डॉक्टर के यहां जाने के लिए निकले। श्रवन ने बाहर गाड़ी लगा रखी थी, श्रवन ने सहारा देकर श्रेया को गाड़ी में बैठाया और खुद भी गाड़ी में बैठ गया। फिर ड्राइवर को चलने के लिए कहा। श्रवन ने ड्राइवर को गाड़ी बहुत आराम से चलाने के लिए कहा ।क्योंकि श्रेया का डिलीवरी का समय बहुत नजदीक हो चला था।

ड्राइवर ने जी सर कहकर- गाड़ी को स्टार्ट किया और मध्यम गति से गाड़ी चलाता हुआ अस्पताल की ओर निकल पड़ा। कुछ ही देर में गाड़ी अस्पताल के दरवाजे पर पहुंच गई। श्रवण ने श्रेया को गाड़ी से नीचे उतारा और डॉक्टर के कमरे के पास ले जाकर बैठाया। फिर वह नर्स के पास गया वहां पता चला कि डॉक्टर साहब अभी भ्रमण पर गए हुए हैं। कुछ ही देर में आते होंगे तब तक आपको इंतजार करना पड़ेगा। अस्पताल में छोटे-छोटे शिशुओं के बहुत सारे चित्र लगे हुए थे। श्रवन और श्रेया उन चित्रों को देखकर उनके बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे और एक सुखद एहसास जी रहे थे।

इतने में नर्स ने आकर कहा..... कि डॉक्टर साहब आ चुके हैं, और आपको बुला रहे हैं। श्रवन उठा... और श्रेया को हाथ पकड़ के उठाया.. और डॉक्टर के कमरे की तरफ ले चला। कमरे के दरवाजे पर पहुंचते ही दोनों ने डॉक्टर साहब को प्रणाम किया और डॉक्टर साहब ने उन्हें अंदर आने को कहा। श्रेया और श्रवन दोनों डॉक्टर के कमरे में अंदर गए। डॉक्टर साहब ने श्रेया को बेड पर लेटने को कहा और श्रवन  को बैठने को कहा। श्रवन ने श्रेया को अस्पताल के बेड पर लिटाया और खुद आकर चेयर पर बैठ गया। डॉक्टर साहब उठे और उन्होंने श्रेया का चेकअप किया। चेकअप करते-करते डॉक्टर साहब मुस्कुरा रहे थे।

श्रेया के मन में जिज्ञासा पनप रही थी। उसने पूछा डॉक्टर साहब आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं तब डॉक्टर साहब ने कहा- कि मैं इस बात से खुश हूं कि तुम बहुत जल्दी मां बनने वाली हो और सब कुछ नॉर्मल है। इसलिए मुझे खुशी हो रही है.... यह शब्द सुनते ही श्रेया और श्रवन दोनों के मन में खुशी के लड्डू ....फूट पड़े और श्रवन ने उठकर श्रेया का मस्तक चूम लिया। श्रवण तो श्रेया को गोद में उठाकर झूमना चाहता था। परंतु वह अस्पताल में था इसलिए मन मार कर रह गया।

खुशी श्रेया के चेहरे पर भी पूर्ण रूप से झलक रही थी। आज जिस सुखद एहसास को वह जी रही थी वह पहले से भी बेहद खूबसूरत था। चेकअप के बाद डॉ ने श्रेया को घर जाने को कहा और कुछ दवाएं भी लिखकर श्रवन को दी। श्रवन ने श्रेया को सहारा देकर उठाया और कुर्सी पर बैठा कर खुद दवा लेने चला गया। दवा लेकर जब वह वापस आया तो श्रेया को लेकर डॉक्टर साहब को थैंक यू बोला ।और बाहर आया, बाहर आ कर श्रेया को गाड़ी में बैठाया और श्रेया से पूछा- कि कुछ खाने का मन हो तो बताओ, कुछ खा पी कर ही घर चला जाए। श्रेया ने ना में सिर हिलाया और कुछ खाने को मना कर दिया। क्योंकि श्रेया बहुत थक चुकी थी, और उसे घर जाकर आराम करना चाहती थी इसलिए उन दोनों ने कुछ नहीं खाया और घर की ओर निकल पड़े। घर में सभी लोग उनका इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही गाड़ी दरवाजे पर पहुंची। सभी लोग बाहर निकल आए और श्रेया को साथ लेकर अंदर गए। सभी ने श्रेया से हालचाल पूछा, और डॉक्टर ने क्या बताया यह भी पूछा। श्रेया और श्रवण को मां ने थोड़ा पानी पिलाया और फिर उन्हें खाना खाने को दिया। खाना खाकर श्रेया और सामान आराम करने चले गए।
दोपहर को आराम करने के बाद जब श्रेया उठी तो थोड़ा तरोताजा महसूस कर रही थी। शाम ढलने लगी थी। श्रेया खिड़की से ढलते हुए सूरज को देख रही थी। कितना अनुपम दृश्य था सूरज का एकदम लाल रंग देख ही श्रेया को अपनी कोख में पलते लाल की ओर ध्यान चला गया। और एक सुखद एहसास उसने फिर से जिया।

   23
16 Comments

Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:34 PM

बहुत खूब

Reply

Astha Singhal

15-Sep-2022 09:40 AM

खूबसूरत भाग 👍

Reply

Priyanka Rani

06-Sep-2022 06:06 PM

Nice part

Reply